भारत के दक्षिणी भाग में कृष्णा नदी पर बना Nagarjuna Sagar Dam देश की सबसे महत्वपूर्ण बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं में से एक है। यह तेलंगाना के नलगोंडा जिले और आंध्र प्रदेश के पालनाडु जिले की सीमा पर स्थित है। इसे अक्सर आधुनिक भारत का इंजीनियरिंग चमत्कार कहा जाता है, क्योंकि इसके निर्माण ने कृषि, बिजली और पर्यटन—तीनों क्षेत्रों में बड़ा परिवर्तन लाया।
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निर्माण का इतिहास
Nagarjuna Sagar Dam का निर्माण वर्ष 1955 में शुरू हुआ और 1967 में पूरा किया गया। इस परियोजना को पूरा करने में हजारों मजदूरों ने वर्षों तक कठिन मेहनत की। लगभग 52 गाँव इस बांध के जलाशय में समा गए, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों का पुनर्वास किया गया।
यह बांध पत्थरों और ईंटों से बनाया गया है, जो सामान्य कंक्रीट के बांधों से इसे बिल्कुल अलग बनाता है। इसके निर्माण में करीब 132 करोड़ रुपये खर्च हुए थे—जो उस समय एक बहुत बड़ी राशि मानी जाती थी।
संरचना और भौगोलिक विवरण
Nagarjuna Sagar Dam आकार और बनावट के मामले में भारत के सबसे बड़े बांधों में शामिल है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- ऊँचाई: लगभग 124 मीटर
- लंबाई: लगभग 1.6 किलोमीटर
- कुल 26 विशाल स्टील गेट्स
- जल क्षमता: लगभग 11,472 मिलियन क्यूबिक मीटर
यह बांध सिंचाई और हाइड्रो-पावर दोनों आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसका विशाल जलाशय आसपास के जिलों को जीवनदायी जल प्रदान करता है और बिजली उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है।
सिंचाई और बिजली का प्रमुख स्रोत
Nagarjuna Sagar Dam आसपास के कई जिलों की कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है। तेलंगाना के नलगोंडा, सूर्यापेट और खम्मम जिलों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश के गुंटूर, पालनाडु और कृष्णा जिलों को भी इसका सीधा लाभ मिलता है।
बिजली उत्पादन के लिए यहां फ्रांसिस-प्रकार की टरबाइनें लगाई गई हैं, जिनके माध्यम से बड़ी मात्रा में हाइड्रो-पावर तैयार होती है। बिजली संयंत्रों को 1978 से 1985 के बीच स्थापित किया गया था। आज भी यह बांध दोनों राज्यों के लिए ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
Nagarjuna Sagar Dam का नाम प्राचीन बौद्ध आचार्य “नागार्जुन” के नाम पर रखा गया है, जिनका इस क्षेत्र से गहरा संबंध था। बांध के बनने से पहले यहाँ Nagarjunakonda नाम का एक प्राचीन बौद्ध नगर था, जो अब जलाशय में स्थित एक द्वीप के रूप में जाना जाता है।
इस द्वीप पर बौद्ध अवशेषों और मूर्तियों का एक संग्रहालय बनाया गया है, जहाँ स्टूप, विहार, मठ, सिक्के, मूर्तियाँ और कई प्राचीन कलाकृतियाँ संरक्षित हैं। यह स्थान भारत के प्रमुख बौद्ध पर्यटन केंद्रों में एक महत्वपूर्ण धरोहर है।
इसके अलावा, सरकार द्वारा विकसित Buddhavanam परियोजना इस क्षेत्र के बौद्ध इतिहास को और उजागर करती है।
पर्यटन संभावनाएँ और अनुभव
Nagarjuna Sagar Dam सिर्फ इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना नहीं, बल्कि एक बेहद लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
यहाँ देखने लायक मुख्य आकर्षण हैं:
1. विशाल जलाशय और गेट्स का दृश्य
मानसून और सर्दियों के मौसम में जलाशय का दृश्य मन मोह लेने वाला होता है। जब बांध के गेट खोले जाते हैं, तो पानी का प्रवाह देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
2. Nagarjunakonda द्वीप
नौका सेवा (क्रूज़) द्वारा इस द्वीप तक पहुँचा जा सकता है। यहाँ का संग्रहालय और घना प्राकृतिक वातावरण इसे अनोखा पर्यटन स्थल बनाते हैं।
3. हरे-भरे वन और प्राकृतिक दृश्य
बांध के आसपास नलमल्ला पहाड़ियों और जंगलों का सुंदर नजारा देखने को मिलता है। यह क्षेत्र फोटोग्राफी और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन जगह है।
4. पर्यटन सुविधाएँ
सरकारी टूरिज्म बोर्ड द्वारा नाव सेवाएँ, व्यू-पॉइंट्स और विश्राम केंद्र उपलब्ध कराए गए हैं। अगस्त से फरवरी तक का समय यहाँ घूमने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
चुनौतियाँ और जल विवाद
Nagarjuna Sagar Dam तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच कई बार विवाद पैदा होते हैं।
पर्यटन सुविधाओं में सुधार की भी आवश्यकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग यहाँ आने के लिए उत्साहित हों।
भविष्य और महत्व
Nagarjuna Sagar Dam केवल एक बांध नहीं, बल्कि भारत की आधुनिक इंजीनियरिंग, कृषि विकास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। आने वाले समय में इसे एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में और विकसित किया जा रहा है। बेहतर जल-प्रबंधन और पर्यावरण सुरक्षा के उपाय अपनाकर इसकी उपयोगिता और बढ़ाई जा सकती है।
निष्कर्ष
Nagarjuna Sagar Dam भारत के विकास मॉडल का एक मजबूत स्तंभ है। इसने खेती, बिजली, इतिहास, संस्कृति और पर्यटन—सभी क्षेत्रों को एक नई दिशा दी है।
यह बांध इंजीनियरिंग की क्षमता का प्रमाण भी है और हमारी सांस्कृतिक विरासत का संवाहक भी।
FAQs –
1. एपी में सबसे बड़ा बांध कौन सा है?
आंध्र प्रदेश (AP) में सबसे बड़ा बांध Nagarjuna Sagar Dam माना जाता है। यह बांध कृष्णा नदी पर बना है और आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना, दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित है। इसकी लंबाई लगभग 1.6 किलोमीटर और ऊँचाई 124 मीटर के आसपास है, जो इसे दक्षिण भारत के सबसे बड़े और शक्तिशाली बांधों में से एक बनाती है। इसके विशाल जलाशय और सिंचाई क्षमता की वजह से इसे एपी का प्रमुख और सबसे बड़ा डैम माना जाता है।
2. हैदराबाद से नागार्जुन सागर कैसे जाए?
हैदराबाद से Nagarjuna Sagar Dam जाने के लिए आप सड़क मार्ग (रोड) सबसे सुविधाजनक विकल्प है। दूरी लगभग 165 किलोमीटर है और यात्रा में 3 से 4 घंटे का समय लगता है। हैदराबाद से मिरयालगुड़ा या नलगोंडा मार्ग से आसानी से सीधा रास्ता मिलता है। बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं—TSRTC की नियमित बसें हैदराबाद से नागार्जुन सागर तक चलती हैं। निजी कैब या अपनी कार से यात्रा करना और भी आरामदायक रहता है।
3. Nagarjuna Sagar Dam किस नदी पर बना है?
Nagarjuna Sagar Dam कृष्णा नदी पर बनाया गया है। यह नदी दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों में से एक है और बांध इस नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करके सिंचाई और बिजली उत्पादन दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. Nagarjuna Sagar Dam देखने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
Nagarjuna Sagar घूमने का सबसे अच्छा समय अगस्त से फरवरी तक माना जाता है। इस दौरान पानी का स्तर ऊँचा रहता है और मौसम भी सुहावना होता है। मानसून के बाद जब गेट खोले जाते हैं, तो दृश्य बेहद आकर्षक हो जाता है।
5. Nagarjunakonda द्वीप क्या है और यहाँ कैसे पहुँचा जाता है?
Nagarjunakonda एक ऐतिहासिक बौद्ध द्वीप है जो Nagarjuna Sagar Dam के जलाशय के बीच स्थित है। यहाँ एक संग्रहालय और कई बौद्ध अवशेष बने हुए हैं। इस द्वीप तक पहुँचने के लिए पर्यटकों को टूरिज़्म विभाग द्वारा संचालित नाव (क्रूज़) सेवा का उपयोग करना पड़ता है, जो बांध के किनारे से चलती है।



