Ganesh Chaturthi भारत के सबसे पवित्र और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह दिन भगवान Ganesha को समर्पित होता है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि तथा सौभाग्य का देवता मानते हैं। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। 2025 में भी लोग गंगा पूजा करेंगे और घर-घर में Ganesha का स्वागत होगा।
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इतिहास और महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने मिट्टी से एक बालक बनाया और उसमें प्राण स्थापित किए। वही बालक गणेश कहलाए। भगवान शिव ने जब उन्हें देखा तो कुछ गलतफ़हमी के कारण उनका मस्तक काट दिया, लेकिन बाद में हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनर्जीवित किया। तभी से वे गणपति बप्पा के रूप में पूजे जाते हैं।
Ganesh Chaturthi का महत्व इस बात में छिपा है कि यह हमें न सिर्फ़ धर्म और संस्कृति से जोड़ता है बल्कि परिवार और समाज को एकजुट करने का संदेश भी देता है।
Ganesh Chaturthi 2025 Date & Timings

- 2025 में 27 अगस्त (बुधवार) को गंगा चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा।
- चतुर्थी तिथि आरंभ: 26 अगस्त रात 11:15 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 27 अगस्त रात 09:40 बजे
- इस दिन Ganesh Puja 2025 के लिए मध्यान्ह का समय सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि मान्यता है कि इसी समय भगवान Ganesha का जन्म हुआ था।
- Ganesh Puja Vidhi (पूजा का तरीका)
- Ganesh Puja बड़े ही विधिपूर्वक की जाती है। यहाँ step-by-step तरीका बताया जा रहा है:
- मूर्ति स्थापना: सबसे पहले घर को साफ़ करके उत्तर-पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ और उस पर भगवान Ganesha की मूर्ति स्थापित करें।
- कलश स्थापना: कलश में जल भरकर उस पर आम के पत्ते और नारियल रखें। यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।
- संकल्प: भगवान का ध्यान करते हुए संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा से ganesh puja करेंगे।
- पंचोपचार पूजा: धूप, दीप, गंध, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्र जाप: “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- अर्पण: गणेशजी को दूर्वा घास, लाल फूल और मोदक अर्पित करें क्योंकि यह उनका प्रिय भोग है।
- आरती: अंत में गणपति की आरती करें और सभी परिवारजन मिलकर प्रसाद ग्रहण करें।
- यह पूरी विधि घर में शांति, सुख-समृद्धि और नई शुरुआत का आशीर्वाद लाती है।
Ganesh Puja के दौरान किन गलतियों से बचना चाहिए?
- भगवान Ganesha की पूजा करते समय कुछ बातें ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है। छोटी-छोटी गलतियाँ पूजा का पूरा फल कम कर सकती हैं।
- मूर्ति की स्थापना दिशा
- गणेशजी की मूर्ति हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में रखें।
- पश्चिम और दक्षिण दिशा में मूर्ति स्थापित करने से बचें।
- दीवार के पास न रखें
- दीवार से मूर्ति को कभी भी चिपकाकर नहीं रखें। ताकि सकारात्मक energy flow हो सके, पीछे कुछ खाली स्थान होना चाहिए।
- दो मूर्तियाँ एक साथ न रखें
- घर में एक समय में सिर्फ़ एक ही गणेश मूर्ति स्थापित करें। दो मूर्तियाँ रखने से पूजा का प्रभाव कम हो जाता है।
- टूटी या क्षतिग्रस्त मूर्ति न रखें
- अगर पूजा के दौरान मूर्ति टूट जाए तो उसका विधिपूर्वक विसर्जन करें। टूटी मूर्ति रखना अशुभ माना जाता है।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें
- पूजा स्थल हमेशा साफ़-सुथरा होना चाहिए। गंदगी या बिखरा सामान पूजा के परिणाम को प्रभावित करता है।
- नैवेद्य और प्रसाद में लापरवाही न करें
- गणेशजी को प्रसाद के रूप में मोदक, दूर्वा और लाल फूल अर्पित करना ज़रूरी है। इन्हें skip करना उचित नहीं माना जाता।
- पानी और अग्नि का ध्यान रखें
- पूजा के समय जल और दीपक पास रखें लेकिन इतनी सावधानी भी रखें कि गंदगी या कोई दुर्घटना न हो।
भारत भर में परंपराएँ और उत्सव
महाराष्ट्र में इस पर्व की धूम सबसे ज़्यादा देखने को मिलती है। मुंबई के “लालबागचा राजा” की भव्य झांकी देखने लाखों भक्त आते हैं। वहीं दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।
2025 में पर्यावरण के प्रति जागरूकता को देखते हुए लोग eco-friendly Ganesh murti का प्रयोग करेंगे ताकि नदी और समुद्र को प्रदूषण से बचाया जा सके।
गणेश विसर्जन
Ganesh Chaturthi का समापन अनंत चतुर्दशी को होता है। इस दिन गणपति विसर्जन किया जाता है। भक्त “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के नारों के साथ बप्पा को विदा करते हैं। इसका भाव यह है कि जीवन में आए विघ्नों को दूर करके वे अगले वर्ष फिर से शुभता और आनंद लेकर लौटें।
निष्कर्ष
2025 का Ganesha Chaturthi सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है; यह भी परिवार में विश्वास, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। इस अवसर पर गंगाजी से प्रार्थना करनी चाहिए। कि वे हमारे जीवन को ज्ञान, सुख, शांति और समृद्धि दें।
आप भी इस वर्ष पूरे दिल से गनेश पुजा 2025 करें और अपने जीवन में सकारात्मकता लाएं।
गणपति बप्पा मोरया!



